सूर्य पुत्री रश्मि मल्होत्रा
देश में लॉकडाउन का दौर समाप्त है। इसमें भी देश में काफी सड़कें सूनी पड़ी हैं और काफी कामकाज ठप पड़ा है। समझदार लोग घरों में रहकर वायरस का प्रकोप कम होनेका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कोरोना काल में एक बात यह भी तय हो गई है कि एक वायरस दुनिया को ज़िन्दगी के अलग-अलग तरहके अनमोल सबक भी सिखा रहा है |जिस परिस्थिति में देश में लॉकडाउन लागू किया गया उसने देश में एक अलग तरह की स्थिति उत्पन्न कर दी है। आने वाले समय में बहुत बदलाव नज़र आयेंगे|| मानव को कई सबक भी सीखने को मिले हैं|आज प्रश्न है क्या मानव इन अनमोल सबक को याद रख पायेगा???
पहला सबक है प्रदूषण में कमी-
हम लोगों के जीवन में लॉकडाउन का सबसे बड़ा सबक यह है कि जिस प्रदूषण को कम करने के बारे में अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी हमारे व सरकार के प्रयास नाकाफी पड़ रहे थे, आज उस प्रदूषण को लॉकडाउन ने आश्चर्यजनक रूप से एकाएक नियंत्रित कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदूषण न होने के चलते उस दिल्ली में लगभग 20 वर्ष बाद 17 अप्रैल की सायं को आधा-अधूरा इन्द्रधनुष बनता हुआ नज़र आया था।
दूसरा सबक है रिश्तों को निभाना-
लॉकडाउन के चलते हम लोगों की दिनचर्या पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गई है। सामान्य दिनों की दिनचर्या से जब हम हटकर कोई काम करते हैं तो उसका प्रभाव हमारे जीवन में अवश्य दिखाई देता है। देश में कुछ ऐसा ही प्रभाव दिखाई दिया है इस कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन के काल के दौरान।कुछ लोग तो अपने घरों में रहकर ही ऑनलाइन अपने रोजमर्रा के कार्य को बखूबी कर रहे हैं, जिससे देश में आने वाले समय में वर्क फ्रॉम होम की कल्चर को बढ़ावा मिलेगा। कुछ लोगों को अपनी शराब पीने व गुटखा खाने जैसी गंदी आदतों से पूर्ण रूप से छुटकारा मिल रहा है, बेवजह के खर्चों पर लगाम लग रही है। कुछ लोग हर समय अपनी दुनिया में व्यस्त रहते थे वो लोग अब परिवार के लिए आजकल अपनी आदतों में बदलाव करके मां, बाप, भाई, बहन, पत्नी, बच्चों के साथ खुश हैं। और उनको भरपूर समय देने के लिए इस अवसर का पूरा सदुपयोग कर रहे हैं। वहीं अपनी दुनिया में मस्त रहने वाली देश की युवा पीढ़ी को रिश्ते-नाते निभाने का ज्ञान करवा गया यह लॉकडाउन का काल।
हर आपदा जीवन बचाने के लिए लोगों को एकजुट करके संगठित करने का काम करती है, कोरोना काल ने भी वही कमाल किया है। कभी पड़ोसियों से बात ना करने वाले लोग आज आसपास में घर की बालकनी में खड़े होकर रिश्तों की मिठास बढ़ा रहे हैं। देश में अपराध नाममात्र के लिए रह गया है। हर तरह के प्रदूषण के ग्राफ में भी एकाएक बहुत गिरावट आई है। देश में रोजाना कचरे के निकलने वाले ढेरों का ग्राफ बहुत कम हुआ हैलोगों में अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जागरुकता का बढ़ावा हुआ है। लोगों ने अपनी ज़िम्मेदारी समझना शुरु किया है, लापरवाही पूर्ण नजरिये में कमी आई है।
तीसरा सबक है प्रकृति का सम्मान करना-
एक तरफ इंसान जहां अपने घरों में रहने को मजबूर है, वहीं दूसरी तरफ देश में ऐसे में वन्यजीवों को काफी सुकून मिला है। देश के कई हिस्सों में ऐसे दुर्लभ नजारे देखने को मिले हैं जहां वन्य जीव हिनण, हाथी, बारहसिंघा, तेन्दुआ आदि सड़कों पर व आबादी के बीच निकलकर बेखौफ होकर घूम रहे हैं।प्रकृति तरह-तरह के खूबसूरत नजारे दिखा रही है। वातावरण का तापमान जो मई के महीने में 40-43 डिग्री के बीच रहता था वह 37-38 डिग्री के बीच रह रहा है।
चौथा सबक है शिक्षा प्रणाली को सुव्यवस्थित करना-
आपदा काल में शैक्षणिक व्यवस्था में परिवर्तन होता नज़र आ रहा है| देश में स्कूल-यूनिवर्सिटी कोशिश में हैं कि आने वाले समय में पढ़ाई के तौर-तरीकों को बदला जाए।
ऑनलाइन वर्चुअल क्लासेज का इस्तेमाल एकाएक बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है। आने वाले समय में कोरोना संक्रमण फैलने के भय के चलते भविष्य में भी लोगों को भीड़-भाड़ वाले मार्केट्स, रेस्टोरेंट और मॉल्स में जाने से रोका जायेगा, लोग ऑनलाइन शॉपिंग करने में और तेजी लायेंगे|
पांचवां सबक है हाईजीन का स्टैण्डर्ड बढ़ाना-
कोरोना वायरस ने देश के घर-घर में सफाई और हाइजीन की अहमियत को सिखा दिया है, क्योंकि भारत में अभी तक हाईजीन के स्टैण्र्डड विकसित देशों की तरह नहीं थे,लेकिन आज व आने वाले समय में इसमें बहुत ही तेजी से सकारात्मक बदलाव आता दिख रहा है। देशवासी अब साफ-सफाई के महत्व को समझ रहे हैं। और भविष्य में इन चीजों को लेकर वो बहुत ज्यादा सतर्क रहेंगे। आने वाले समय में लोग सड़कों पर थूकने वाले लोगों पर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए|
हाथो को हमेशा साफ़ रखना , सेनितैज़ेर्स का इस्तेमाल करना, दूरी बना कर रखना, फेस मास्क पहनना या रूमाल से अपना चेहरा ढक कर रखना ताकि किसी से या किसी और को आप से इन्फेक्शन ना हो , ये सभी हायजीन के बहुत आवश्यक नियम है जिन का पालन हमेशा करना चाहिए |और कोरोना ने आज सभी को ज़बरदस्ती इन नियमो का पालन करना सिखा दिया है|
कोरोना काल ने सच पूछो तो अंधाधुंध भागती दुनिया को एकाएक रोककर आराम से यह सोचने का मौका दिया है कि भविष्य में इंसान व इंसानियत के लिए क्या जरुरी है और क्या जरुरी नहीं है। आज एक वायरस ने दुनिया को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि पैसा कमाने की कभी खत्म नहीं होने वाली दौड़ और विनाश की तर्ज पर अंधाधुंध विकास की अंधी दौड़ होना दुनिया के हित में ठीक नहीं है। आपदा के वक्त में लोगों में इंसानियत बढ़ी है|
कोरोना व लॉकडाउन का यह काल ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सबक हम लोगों को देकर गया है कि अगर व्यक्ति में संतोष का भाव है तो बेहद सीमित संसाधनों में परिवार के साथ रहकर आपसी भाईचारे व प्यार मोहब्बत से खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकता है।