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समरस समाज बनाने का संकल्प

आप सभी सुधी पाठकों को नववर्ष, लोहड़ी, मकर संक्रांति एवं गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। नया वर्ष, नई चुनौती। नया वर्ष सकारात्मकता का प्रतीक है। एक सकारात्मक सोच से नए वर्ष का स्वागत करते हैं और नई चुनौतियों को स्वीकारने का संकल्प लेते हैं। नई चुनौती है पर्यावरण सुधारने की। जल संरक्षण की। सामाजिक समरसता की।   

दीपावली के बाद से पूरे उत्तर भारत में जिस तरह से स्मॉग की समस्या देखी गई, इससे निपटने के क्रम में ये साबित हो गया कि हम यदि संगठित समाज के तौर पर जिम्मेदार एवं सजग नहीं हुए तो ऐसे दुष्परिणाम हमें भुगतने होंगे। फिलहाल तो हमने बांट रखा है कि पराली जलाते हैं पंजाब-हरियाणा वाले और भुगतते हैं दिल्ली वाले। ऐसा करने से काम नहीं चलेगा| हम समस्या के वक्त हमेशा टुकड़ों में बंट जाते हैं |यह हमारे समाज की मूलभूत समस्या है। दूसरी महत्वपूर्ण चुनौती है जल संरक्षण की। हम सबने देखा कि केंद्रीय मंत्री ने रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के जल को संदूषित बताया, लेकिन दिल्ली सरकार ने इस रिपोर्ट को गलत बताया। सही-गलत हम नहीं जानते, लेकिन क्या हम इसका अभ्यास करेंगे कि परिवार के स्तर पर जल की बर्बादी रोक दें। यह भी जल संरक्षण की ओर बढ़ा एक कदम होगा। इसके बाद आते हैं सामाजिक समरसता पर। पूरा दिसंबर हमने उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम सभी तरफ सड़कों पर बलवा देखा, आगजनी देखी। एक समाज का दूसरे समाज के प्रति असंतोष एवं गुस्सा देखा।

अब जो असल चुनौती है, वह है समाज के तौर पर एक दिखने की। पर्यावरण संरक्षण की और जल संरक्षण की। क्योंकि संविधान ने सभी को जीने का समान अधिकार दे रखा है। संविधान ने ही प्राकृतिक संसाधनों पर सभी को समान अधिकार भी दे रखा है। इसलिए सही-गलत करने से बात नहीं बनेगी, उस ‘गलत’ को आज की जरूरत के हिसाब से सही करने से बात बनेगी।

उस ‘गलत’ को आज की जरूरत के हिसाब से सही करने से बात बनेगी। सो… चुनौती है आज की जरूरत के अनुसार नया भारत गढ़ने की, जिसमें सामाजिक समरसता बनी रहे और सभी प्राकृतिक संसाधन सभी को पर्याप्त रूप से सुलभ हों। लेकिन इसके लिए हम केवल सरकार, शासन, प्रशासन का मुंह ताकें, यह सही नहीं होगा। हमें अपने तौर पर समरसता वाला गोंद बनाना होगा, ताकि हम समाज के तौर पर एक हो सकें…। लीजिए तैयार हो गया नववर्ष संकल्प!!!                                  

ॐ पूर्न्मिदः पूर्णमिदम पूर्णात पूर्न्मदुचय्ते

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्न्मेवा वशिश्यते !! ॐ शांति शांति शांति 

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