चारों तरफ कोरोना का शोर है। और इस शोर के बीच हम अब लॉकडाउन से अनलॉक वाले फेज में पहुंच गए हैं। कुछ विशेषज्ञ बता रहे हैं कि भारत में जुलाई तक कोरोना का चरम बिंदु आएगा, जबकि कुछ विशेषज्ञ नवंबर मध्य तक चरम बिंदु आने की संभावना जता रहे हैं। अर्थात् हम अनिश्चय के भंवर में हैं। इससे लोगों में डिप्रेशन बढ़ रहा है। वे अवसादग्रस्त हो रहे हैं। ऐसे में योग-ध्यान ही एकमात्र सहारा नजर आ रहा है। वर्षों के अपने समाजसेवा से जुड़े अनुभव के आधार पर मैं यह बात पक्के तौर पर कह सकती हूं। दरअसल, योग ऊर्जा को जोड़ने का नाम है। ध्यान ऊर्जा को सही दिशा में लगाने की प्रक्रिया का नाम है। और वर्तमान में इस कोरोना-काल में ऊर्जा का घटाव चल रहा है। सकारात्मक ऊर्जा का ह्रास हो रहा है। और यही है सारी समस्या की जड़।
आज विश्व योग दिवस के अवसर पर मैं अपील करूंगी कि सभी अपने घरों में प्रति दिन योग और ध्यान का अभ्यास करें। तब सवाल है, क्यों? जवाब यूं है कि जब आप ध्यान करेंगे तो आपकी विधायी ऊर्जा सकारात्मक रहेगी,आपका मन शांत रहेगा, चित्त स्थिर रहेगा। इससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आपको ज्वर अर्थात् बुखार नहीं आएगा। जब आप अनुलोम-विलोम का अभ्यास करेंगे, तो आपकी श्वास शुद्ध रहेगी। इससे रक्त प्रवाह सही रहेगा। हम सभी जानते हैं, जब रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है, तो हम कई किस्म की दिक्कतों से गुजरते हैं। जब हम गहरी श्वास लेने, रोकने और फिर नि:श्वास के रूप में धीरे-धीरे उसे छोड़ने का अभ्यास करते हैं, तो इससे रक्त ही साफ नहीं होता, अपितु हमारा मानसिक बल भी बढ़ता है।
यहां मैं कहना चाहूंगी कि जिन्हें योगनिद्रा आती हो, वे योगनिद्रा का अभ्यास अपने घर में करें और जिन्हें योगनिद्रा नहीं आती हो (क्योंकि योगनिद्रा कुशल योग-प्रशिक्षक के निर्देशन में ही करना चाहिए) वे शवासन का अभ्यास करें। इससे शरीर हल्का महसूस होगा। और जब ऐसा होगा तो आप स्वाभाविक रूप से सकारात्मक विचार रखने लगेंगे।
याद रखिए, कोरोना को हराने में सबसे कारगर हथियार साबित होगा- सकारात्मक विचार। और ऐसा होगा गहरी श्वास के अभ्यास, योगनिद्रा एवं शवासन से। प्रतिदिन कम-से-कम सुबह तथा शाम सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, उत्थान आसन, कपाल भाती, धनुरासन तथा सांसों की क्रिया के माध्यम से आप स्वयं को ऊर्जावान बनाए रख सकते हैं। आप सोचेंगे, इतनी सारी क्रियाएं एक साथ। जीवन में ऐसे ही इतना तनाव है- घर का तनाव, ऑफिस का तनाव, आस-पड़ोस का तनाव…
तो याद रखिए, प्राणायाम से आपका यह तनाव कम होगा, शरीर में प्राण वायु का प्रभावी संचार होगा तथा रक्त शुद्ध होगा। प्रतिदिन 10 मिनट का प्राणायाम शरीर के विष को छोड़ी गई श्वास के साथ बाहर निकलकर मन को निर्मल कर देगा। इससे चेहरे की झुर्रियां भी समाप्त होंगी। इसके अतिरिक्त, कपालभाती से खून को साफ करने में मदद मिलती है। धनुरासन से शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है तथा शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं।
इस कोरोना-काल में आमतौर पर अनिद्रा और तनाव आम समस्या है। इसलिए इस अंतरराष्टï्रीय योग दिवस पर मैं सबसे अपील करूंगी कि घर में योगासान और प्राणायाम की शुरुआत करें। और सबसे अहम बात, सूर्य नमस्कार का अभ्यास। इससे शरीर पर आयु के प्रभाव को रोका जा सकता है। यह चेहरे तथा शरीर पर बुढ़ापे की भाव मुद्राओं के प्रभाव को रोकने में मददगार साबित होता है।
दरअसल, मेरा मानना है कि भारतीय वैदिक परंपरा और सोच हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है। भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं वरन् यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यक्तित्व को एक ठहराव, एक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवनशैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं। कुल मिलाकर, योग का मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक तथा मनोभाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है। और कोरोना-काल में जीवन को एकमात्र इसी शस्त्र से पटरी पर लाया जा सकता है। इसलिए इस बात को एक बार फिर से याद रखिए- कोरोना से बचाव का एकमात्र विकल्प है योग-प्राणायम।