The OM Foundation

काशी एवं पंचकोसी में वर्जित हो मांसाहार

   सर्वप्रथम आप सभी सुधी पाठकों को २१ फरवरी २०२०, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। शिव अर्थात् देवों के देव महादेव! जिन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रूद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि नामों से जाना जाता है। भगवान शिव को संहार का देवता भी कहा जाता है। शिव अनादि और सृष्टि प्रकिया के आदि स्रोत भी हैं। यह ज्योतिष शास्त्र के आधार भी हैं। जिस प्रकार ब्रह्मांड का न तो कोई अंत है, न कोई छोर है और न कोई शुरुआत, उसी प्रकार शिव अनादि हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड इनमें समाया है। जब कुछ नहीं था, तब भी शिव थे और जब कुछ नहीं होगा तब भी शिव होंगे।

   जब कुछ नहीं था, तब भी शिव थे और जब कुछ नहीं होगा तब भी शिव होंगे। ऐसी महाशक्ति जो महाकाल है अर्थात् समय है वह काशी नगरी में निवास करती है। कहते हैं काशीखंड शिवखंड ही है। काशी को विश्व की पुरातन नगरियों में से एक माना जाता है। जिसके होने का प्रमाण वेदों में मिलता है। ऐसी पुण्य नगरी में यात्रा करने का प्रभु ने मुझे अवसर दिया। वहां पहुंचकर जब काशी के घाटों पर भ्रमण किया तब मुझे इस पवित्र स्थान की महानता का ज्ञान हुआ। जिस पवित्र नगरी को औरंगजेब जैसे अत्याचारियों ने तहस-नहस करने का प्रयास किया उस पवित्र नगरी का हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अथक प्रयासों द्वारा पुनर्जन्म हुआ है। घाटों का पुनः नवीनीकरण, साफ-सफाई, साज-सज्जा, संध्या आरती, घाटों पर असंख्य पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र बन गए हैं। विशेष कर अस्सी घाट का पौराणिक महत्व होने के कारण यहां होने वाली गंगा आरती विश्व विख्यात है |

पंचकोसी काशी नगरी को इसका पुनः स्तर दिलाने के लिए प्रधान मंत्री मोदी जी द्वारा करोड़ों धनराशि व्यय की जा रही है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से हम विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग से सीधा गंगा घाट तक पहुंच पाएंगे। संपूर्ण वाराणसी सुंदर कलाकृतियों से सुसज्जित है, परंतु एक बात का मुझे अत्यंत दुख है कि पावन घाटों के पास मांसाहार की दुकानें हैं। मेरा सरकार से निवेदन है कि जिस प्रकार हरिद्वार, वैष्णो देवी, वृंदावन जैसी देवभूमि में मांस का व्यापार बंद है, उसी प्रकार देवनगरी काशी एवं पंचकोसी में भी मांस का व्यापार बंद होना चाहिए। गंगा के तट पर मांस एवं मदिरा का व्यापार पूर्णतः वर्जित होना चाहिए। तभी भोलेनाथ प्रसन्न होंगे क्योंकि काशी उनका निवास स्थान है। पंचकोसी से लोगों की श्रद्धा जुड़ी है। उसे अपवित्र न करें|

ॐ पूर्णमिदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमदुच्चते|

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवा वशिष्यते ||ॐ शान्ति शान्ति शान्ति

Share this on: